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13 دسمبر 2023ء

  • 17:1617:16، 13 دسمبر 2023ء فرق تاریخچہ +3,838 نیا .. تبادلۂ خیال صارف:2401:4900:820C:490E:CC45:C736:B6F3:9712/* अपनी हस्ती को मिटाकर कुछ पाना इस दौर में मुमकिन नहीं चेहरा गर मुरझाया तो कमज़र्फ लोग तेरी राज तलाश करेगें कमज़ोरी ज़ाहिर हुई जुबां से जीना महाल होजायेगा जहान में माजी में ईमानदारी , सच्चाई , इंसाफ़ पसंद लोगों की कद्र थी हाल काल में झूठे, मक्कार की आबादी है सच्चे को फंसाया जाता है ख़ाक में मिलकर अब इंसान नहीं बेजान दाना गुलज़ार होता है मिर्ज़ा गालिब अपनी जुर्म ख़ुद कबूल करते थे अपनी दौर में इकबाल ने इंसान की लिखी किताब को फौकियत नहीं दिया सर्च तहकीक और तखलीक मिजाज़ था अल्लामा इक़बाल का खुदा... موجودہ نسخہ (ٹیگ: ترمیم از موبائل موبائل ویب ترمیم نیا موضوع)